Kabhi Khushi Kabhi Gham Hu
बह रहा हर किसी के लिए वो दरिया हूँ मैं
कभी ख़ुशी का कभी #गम का नज़रिया हूँ मैं
नहीं मिलते कभी भी मेरे दोनों किनारे मगर,
उनकी धड़कनों को मिलाने का ज़रिया हूँ मैं...
बह रहा हर किसी के लिए वो दरिया हूँ मैं
कभी ख़ुशी का कभी #गम का नज़रिया हूँ मैं
नहीं मिलते कभी भी मेरे दोनों किनारे मगर,
उनकी धड़कनों को मिलाने का ज़रिया हूँ मैं...
बच के रहिये उनसे, जो दिलों में विष घोलते हैं
दिलों में नफ़रत, पर बाहर मीठी जुबां बोलते हैं
उनके लिए कोई अपना पराया नहीं है दोस्तों,
बस वो हर किसी को, उसकी दौलत से तौलते हैं
दिखाते हैं कि बस वही हैं रहनुमा दुनिया में,
मगर जब वक़्त पड़ता है, तब वो पत्ते खोलते हैं
#ज़िंदगी गुज़र जाती है यही व्यापार करने में,
मिलता है क्या उनको, जो यूं #दिलों को तोड़ते हैं
बेरहम दुनिया में कोई किसी का नहीं,
लोग यहां सिर्फ, मतलब के लिए रिश्ते जोड़ते हैं
भूल जाओ यारो, अपने हाथों की लकीरों को
खुद ही बनाना पड़ता है, अपनी तक़दीरों को
उसका तो फल मिलेगा जो किया है तुमने
मगर दोष देते हो क्यों, अपनी तकदीरों को
ग़मों का क्या वो न छोड़ते हैं किसी को भी,
चाहे जकड़ें गरीबों को, चाहे पकड़ें अमीरों को
ख़ुदा तो बैठा है हर किसी के #दिल में,
मगर सर नवाते है हम, बेज़ुबान तस्वीरों को...
मेरी चाहतों को, इस कदर ठुकराने वाले
मेरे दर्दे ज़िगर को, हंसी में उड़ाने वाले
पछतायेगा एक दिन अपने किये पे तू,
गुज़रे हुए लम्हें, फिर कभी न आने वाले
मुकद्दर में लिखा है गर जलना हमेशा,
मिल जायेंगे कहीं भी, #दिल जलाने वाले
पता चलेगी तुम्हें मेरी वफ़ा की कीमत,
जब मुंह चुरायेंगे, तुम पे जां लुटाने वाले
साथ नहीं देता वक़्त हमेशा किसी का,
गिरते हैं जमीं पे, आसमां तक जाने वाले
समझने वाले के लिए, ज़रा सा इशारा काफी है
डूबने वाले के लिए, तिनके का सहारा काफी है
दिन तो कट जाता है ज़िंदगी की कश्मकश में,
रात गुज़रने के लिए, यादों का सहारा काफी है
जो डूबने से डरते हैं वो क्यों खेलते हैं सागर से,
उनके लिए तो बस, सागर का किनारा काफी है
जो लिखा है तक़दीर में मिलता वही है,
हमें तो जीने के लिए, ख़ुदा का सहारा काफी है