जीने से तो यहाँ बेहतर है कि, बस मर जाएँ
मिलते हैं ग़मों से बुझे चहरे, हम जिधर जाएँ
प्यार का इक कोना न मिलता अब कहीं,
मिलती है हर तरफ नफ़रत, हम किधर जाएँ
न रही बात अब गुलशन की रंगीनियों में,
मिलते हैं खार ही खार, भँवरे अब किधर जाएँ
ज़माने की चोट से हर कोई घायल है
न मिलता है एक पल ख़ुशी का, हम जिधर जाएँ
ज़िंदगी की राह में, मन चाहा मुक़ाम नहीं मिलता
कोई हमें भी दिल से चाहे, ऐसा #इंसान नहीं मिलता
खेलते हैं लोग हमारे अरमानों से यहाँ,
कोई हमारे #दिल को चाहे, ऐसा मेहरवां नहीं मिलता
आंसुओं को देखा तो जुबां हिला न सके
दिल में दबे तूफ़ान उनको दिखा न सके
दिल खो गया अंधेरों के आगोश में कहीं
उनकी आँखों से आँखें हम मिला न सके
बेखबर चले आये थे उनकी महफ़िल में
अफ़सोस कि दिल का अँधेरा मिटा न सके
देखते रह गए अपने अरमानों का हशर हम
अपने आंसुओं को पलकों में छिपा न सके
ये तक़दीर भी क्या गुल खिलाती रही ,
हारे हुए दिल को कभी भी हम जिता न सके