बस आँखों को इंतज़ार थमा कर चला गया कोई
वादा निभाने का वादा थमा कर चला गया कोई
सुनसान हो गया महफ़िलों का चमन भी अब तो
ज़िन्दगी को तन्हाईयाँ थमा कर चला गया कोई
कभी उसी से महकता था मेरे मन का ये उपवन
दर्द ए दिल की हर दवा छुपा कर चला गया कोई
चले थे साथ मिल कर कभी खुशियों की राह में
मंज़िल से पहले ही रंग दिखा कर चला गया कोई...
अपने दम पर जीने का, अहसास जुदा होता है
कोई दे या न दे साथ, उसके साथ ख़ुदा होता है
मांगने से नहीं मिलतीं खुशियां कभी भी,
मिल भी जाएँ तो उससे, किसका भला होता है
टूटे हुए #दिल को और मत तोड़ो दोस्तो,
कभी न कभी हर शख्स का, वक़्त बुरा होता है
अपनी तबाही का शिकवा किसी से क्या करें,
मिलता तो वही है, जो मुकद्दर में लिखा होता है...
चोट लगती है हमको मगर रोती है मां
हर मुसीबत में #दिल के क़रीब होती है मां...
हम भले ही खुशियों में भूल जायें उसको
पर हर मुश्किल में हमारे साथ होती है मां...
दिल के ज़र्रे ज़र्रे पे, आंसुओं से इबारत लिखी है हमने
यादों के कोरे कागज़ पे, हर शिकायत लिखी है हमने
पत्थरों के मकानों में लोग भी पत्थर दिल हैं "मिश्र",
इस दुनिया ने निभायी कैसे, वो अदावत लिखी है हमने
अब वो दुनिया नहीं, वो दुनियादारी नहीं
जो बदल जाये, वो #किस्मत हमारी नहीं
कहने को सब कुछ अपना सा दिखता,
मगर कोई भी चीज़, इसमें हमारी नहीं
वो छोड़ जाएँ हमको ये है उनकी रज़ा,
पर उनके बिन, ये #ज़िन्दगी हमारी नहीं
बहुत ज़ुल्म झेले हैं #जीवन के सफर में,
अब और झेल पाएं, हिम्मत हमारी नहीं...