कभी इधर ढूंढ़ता हूँ, तो कभी उधर ढूंढ़ता हूँ,
दिल की हर धड़कन, और कोनों में ढूंढता हूँ
न मिला मुझे बीते कल का कोई भी लम्हां,
मैं कोई अतीत का, प्यारा सा अक्स ढूंढ़ता हूँ
मैं भूल गया रख कर कहीं यादों की पोटली,
मैं अपने बचपन के, खेलों का आँगन ढूंढता हूँ
ऊब सा गया हूँ मैं ये कौन सी उम्र है ,
कि मैं खुद में क्यों, जवानी की धमक ढूंढ़ता हूँ...

Leave a Comment