राख हूँ मैं बेशक मगर, फ़ितरत अभी बाक़ी है,
दिखा सकता हूँ जलवे, हिम्मत अभी बाक़ी है!
न समझो कि मैं डर गया दुनिया के अंधेरों से,
यारो चराग़ों के बुझने में, वक़्त अभी बाक़ी है!
न करना किसी से ज़िक्र मेरे बिगड़े हालात का,
दुनिया की नज़र में मेरी, इज़्ज़त अभी बाक़ी है !
न बदली है न बदलूंगा मैं अपनी फ़ितरत यारो,
मेरे दिल के हर कोने में, मोहब्बत अभी बाक़ी है !
सिरफिरा हूँ दोस्तो कि ढूढ़ता हूँ पत्थरों में जान,
उन्हें भी दोस्त बनाने की, हसरत अभी बाक़ी है !!!