कभी फुर्सत में ज़रा, हमें भी याद किया होता
दिन में वक़्त नहीं, ख़्वाबों में याद किया होता
बहुत गुज़रते होंगे तुम्हारे दर से हो कर लोग,
कभी तो किसी के ज़रिये, सम्बाद किया होता
अब तो मुद्दत गुज़र गयी तेरे दीदार के बिना,
कभी तो आकर ये घर मेरा, आबाद किया होता
ज़िंदगी छोटी है कल न जाने क्या हो क्या पता,
मेरी खातिर तुमने, इक पल तो बर्बाद किया होता...

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