hindi shayari status

कभी क़ातिल रिहा, कभी मासूम लटक जाता है,
फरेबों के सहरा में, बेचारा सच भटक जाता है !
शराफ़त की औकात कुछ भी नहीं जमाने में,
बदमाशियों के आगे, सब कुछ अटक जाता है !
अजीब सा आलम है इस बेसब्र शहर का यारो,
यहां ज़रा सा मसला भी, दिलों में खटक जाता है !
लोग बिछाते हैं जाल कुछ इस कदर फरेबों का,
कि #ज़िन्दगी का सफ़र, अधर में अटक जाता है !
ये दुनिया वो दुनिया नहीं जिसकी तलाश है हमें ,
इसमें घुसते ही प्राणी का, साहस ठिठक जाता है !!!

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