अब कुछ कहने कुछ सुनने से डरता हूँ मैं
उनकी महफिल में भी जाने से डरता हूँ मैं
कभी बात करते थे हम जान तक देने की
या खुदा अब तो उनके साये से डरता हूँ मैं
हमें प्यार है उनसे जानता है ज़माना सारा
पर अफ़सोस उन्हें खुद बताने से डरता हूँ मैं
अंधेरों में रहने की आदत पड़ी है इस क़दर
अब तो दिल में दीपक जलाने से डरता हूँ मैं
ख़ुदा ने इंसान बनाया इस दुनिया क़ी ख़ातिर
अफसोस ख़ुद को इंसान बताने से डरता हूँ मैं

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