हम तो बस अपनों की दगा से डरते हैं,
तूफ़ान झेल कर भी हवा से डरते हैं !
दुश्मनों से कोई शिकवा गिला नहीं,
मगर हम #दोस्तों की ज़फ़ा से डरते हैं !
नफरतों का कोई भी डर नहीं हमको,
मगर हम #मोहब्बत की सजा से डरते हैं !
बहुत रंग देखे हैं इस जमाने के हमने,
हम ज़हर से नहीं बस दवा से डरते हैं !
हमें ग़म नहीं इस दुनिया के सितम का,
हम तो बस अपनी ही खता से डरते हैं !!!