मुसाफिर हूँ दोस्तो, अपनी राह चला जाऊँगा
अकेला था सफर में मैं, अकेला चला जाऊँगा
छोड़ जाऊँगा शब्दों की धरोहर अपनों के लिये,
खाली हाथ आया था, खाली हाथ चला जाऊँगा
कितने रिश्ते बना लिये इस ठहराव में मैंने,
मैं उनको बसा कर दिल में, बस चला जाऊँगा
दोस्तो मुसाफिर का काम है बस चलते जाना,
आज मैं यहाँ हूँ, कल कहीं और चला जाऊँगा...

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