जो सच है, उसे तुम छुपाते क्यों हो !
अगर झूठ है, तो इधर आते क्यों हो !
दिल से पूछ कर जवाब देना दोस्त,
कि प्यार है तो, उसको छुपाते क्यों हो !
कहते हो कि मैं अकेला हूँ दुनिया में,
फिर रूठे हुओं को, यूं मनाते क्यों हो !
आंसुओं से पूंछो कि क्यों बेचैन हैं वो,
अपने दिल को, इतना सताते क्यों हो !
क्यों सजा रखा है इतना दर्द दिल में,
हर किसी को, बेवफा बताते क्यों हो !
दुनिया के मसले तो चलते रहेंगे दोस्त,
उलझ कर उनमें, जां फंसाते क्यों हो !

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