ख़िज़ाँ के फूल में रंग अभी बाक़ी है
उम्र ढल चुकी उमंग अभी बाक़ी है
हसरतें न हो सकीं पूरी तो क्या हुआ
इस #ज़िन्दगी की जंग अभी बाक़ी है
न हुईं कभी उल्फतों की बारिशें, पर
#दिल के दरिया में तरंग अभी बाक़ी है
कितनों ने साथ छोड़ा ग़म नहीं,
सफ़र में ख़ुदा का संग अभी बाक़ी है

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