वक़्त ने मुझे तांगे का घोड़ा बना दिया,
आँखों में पट बांध आधा अंधा बना दिया !
दुनिया घूम ली पर दुनिया न देख पाया,
उसने अपने ईशारे का गुलाम बना दिया !
इक लीक पर चलता रहा मैं रात दिन,
दुनिया से एक दम अन्जान बना दिया !
अब बंधा हूँ एक खूंटे से एक मुद्दत से,
हौसला अब भी है पर नाकाम बना दिया !!!

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