यारो यूं नफरतें कमाने में क्या रखा है,
सब को दुश्मन बनाने में क्या रखा है !

कद्र करनी है तो जीते जी करो दोस्त,
वरना तो बाद दफनाने के क्या रखा है !

जीते जी न देखा कभी चेहरा जिसका,
अब कफ़न उठाने में भला क्या रखा है !

चुन लो ज़िंदगी के मेले से खुशियां यारो,
वर्ना तो बाद उजड़ जाने के क्या रखा है !

गलतियां तो हर सख्स से होती हैं दोस्त,
किसी की इज़्ज़त गिराने में क्या रखा है !

चलना है तो ज़रा संभल के चलिए ,
वरना तो यूं ठोकरें खाने में क्या रखा है !

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