जो डर के भागता है ज़िंदगी से, उसे हम क्या कहें
खुद लटक जाता है जो फंदे पे, उसे हम क्या कहें
भूल जाता है माँ बाप के प्यार का हर पल छिन,
कर देता है जो पागल शोक में, उसे हम क्या कहें
हर हाल में है जीना यहां ये तो ख़ुदा का हुक्म है,
जो उसकी भी नाफरमानी करे, उसे हम क्या कहें
मज़दूर से सीखो कि कैसे चलाता है घर अपना,
जो खुद को भी न संभाल पाये, उसे हम क्या कहें
जां गंवाता धरती मात पे उसे शहीद कहते हैं,
जो जननी को बिलखता छोड़ दे, उसे हम क्या कहें ?

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