न करता कोई याद, तो ख़ुद ही याद कर लो ,
टूटे हुए रिश्तों को, फिर से आबाद कर लो !
सर झुकाना है अपनों के लिए तो शर्म कैसी,
#दिल को गुबारों से, ज़रा सा आज़ाद कर लो !
हर दफ़ा ख़ामोशियों से काम होता नहीं दोस्त,
बात कर के क्यों न, ख़ात्मा ए फसाद कर लो !
रूठों को मनाने में दिखता है बड़ा अपनापन,
वक़्त मिल जाए तो, इसे भी अहसास कर लो !
इस ज़रा सी #ज़िन्दगी का क्या भरोसा है दोस्त,
चाहे तो इसे आबाद कर लो, या बर्बाद कर लो !!!

Leave a Comment