कभी मेरी हकीकत भी एक कहावत बन जाएगी
आवाज़ भी इन हवाओं की अमानत बन जाएगी
राख के ज़र्रे मेरी याद में भटकेंगे इधर उधर
अस्थियाँ किसी दरिया की अमानत बन जाएंगी
मेरी फोटो भी एक दिन दीवार पर लटक जायेगी
उस पर एक अदद माला भी शायद लटक जाएगी
कुछ दिनों तक फूलों की खुश्बू आती रहे शायद
पर एक दिन हर पंखुड़ी सूख कर सिमट जाएगी
जो पास हैं उसकी कोई बात नहीं करता
सिर्फ दूर वालों की याद आती है
घर की मुर्गी की कोई कद्र नहीं करता
सिर्फ गैरों की मुर्गी याद आती है
पिंजड़े के परिंदे की बात कोई नहीं करता
जो उड़ गया सिर्फ उसकी याद आती है
ज़िंदगी की उलझनों में, कुछ ज्यादा ही मशगूल हो गये
जिनको दिल के करीब समझा, वो भी प्रतिकूल हो गये
ये ज़िंदगी भी क्या क्या दिन दिखाती है,
फूलों सी जिंदगी दी जिनको, उनके लिये हम सूल हो गये...
Hai jo lahu mera, behta chala
Dekho junoon mera, kehta chala
Khaabon ka tha makaan jo dehta chala
Bezubaan kab se main raha
Begunaah sehta main raha...
हमें अंधेरों ने इस कदर घेरा कि
उजालों की पहचान ही खो गयी
तक़दीर ने हमें इस कदर मारा कि
अपनों की पहचान ही खो गयी
कोशिशों का हमनें कभी दामन न छोड़ा
पर लगता है हमारी किस्मत ही सो गयी