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दिल खुश नहीं, तो ज़माना बुरा लगता है
किसी का भी हमें, घर आना बुरा लगता है
छा जाती है एक
अजीब सी धुंध दिल पे,
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एक
अजीब दास्तान है मेरे सफरनामे की
वहां से चल कर यहां तक पहुँच पाने की
कभी तो किस्मत ने साथ छोड़ा रस्ते में
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चढ़ते हुए सूरज को, सभी झुक कर सलाम करते हैं
मगर जब डूब जाता है वो, तो घर पे आराम करते हैं
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यारो कैसा ये इत्तेफ़ाक़ है, ये कैसा नसीब है,
होता है वही दूर, जो होता दिल के करीब है !
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बड़ा ज़ुर्म करता हूँ कि, मैं ख्वाब देखता हूँ !
दिल के टूटे टुकड़ों का, मैं हिसाब देखता हूँ !
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आज तो भरे बाज़ार में, वफ़ा नीलम हो गयी !
बस देखते ही देखते, #ज़िन्दगी बेनाम हो गयी !
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अब तो ज़िन्दगी भी, उचाट हो चली है !
उम्र भी तो यारो, कुछ खास हो चली है !
उदास बागवां की तरह बैठा हूँ किनारे,
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ज़रा सी ज़िन्दगी में, व्यवधान बहुत हैं ,
तमाशा देखने को, यहां इंसान बहुत हैं !
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मज़ाक लगता है लोगों को, अब तो मेरा रोना भी,
सबसे बड़ी खता है मेरी, मेरा बदनसीब होना भी !
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इससे पहले कि सनम, बेवफा हो जाएँ,
क्यों न उनकी ज़िंदगी से, जुदा हो जाएँ !
गर ख़ुशी मिलती है उन्हें हमारे बिना ही,
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