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मूर्ख थे हम कि उसको, अपना समझ लिया
हमने
उसकी हर चीज़ पर, अपना हक़ समझ लिया
हमनेView Full
ज़ख्मों का दर्द, छुपा के देख लिया
हमने
अपने ज़िगर को, जला के देख लिया
हमनेView Full
हमारी चाहत को, अपनी चाहत बना के तो देखो
कभी हमारे ज़ख्मों को, अपना समझ के तो देखो
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जो पूँछा हाल उनका, तो मूंह छुपा कर रो दिये
डबडबाई आँखों में, दर्दे दिल छुपा कर रो दिये
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अपनों से ज़िंदगी में, जब बेहाल हो गये
हर तरफ से हम, जब फटे हाल हो गये
तलाश लिया ठिकाना
हमने अंधेरों में,
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न पूंछो हमसे कि, सहने की हद कितनी है
कर ले ज़फ़ा तू भी, करने की हद जितनी है
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अपने ज़ख्मों को, सबसे छुपा कर देख लिया
हमने
लबों पर झूठी मुस्कान, दिखा कर देख लिया
हमनेView Full
उनके सारे ग़मों को, दिल में सजा लिया
हमने
अपने मोम से #दिल को, पत्थर बना लिया
हमनेView Full
#आँखों के सामने वो मँज़र आया है,
जिस पर #
हमने अपना कद़म बढ़ाया है...
साथ जो तेरे माँ बाप का सारा है,
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जिस दिन से उनसे दूर हुए,
हमने तो हँसना छोड़ दिया
हो कर रह गए दीवारो में क़ैद, बाहर निकलना छोड़ दिया
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