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बदलवा दे मेरे नोट ए ग़ालिब,
या वो जगह बता दे, जहाँ कतार न हो।
उमर-ए-दराज़ माँग कर लाये थे चार दिन,
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जमीं पे रह कर, आसमां झुकाने की फितरत है मेरी !
जो न मिल सका किसी को, पाने की हसरत है मेरी !
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भैया कैसी तूने खबर सुनाई !
अब याद हमें तो नानी आई !
अब कैसे नोट ये बदले जाएँ,
चलो इन्हें अब आग दिखाएं,
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एक बार एक चीते और गधे में बहस हो गई।
चीता बोला आस
मान का रंग नीला
और गधा बोला काला।
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हर एक चेहरे पर, मुस्कान मत खोजो,
किसी के नसीब का, अंजाम मत खोजो !
डूब चुका है जो गन्दगी के दलदल में,
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अमृत बता कर लोगों को, वो ज़हर बेच सकता है ,
अपनी जागीर बता कर, वो समंदर बेच सकता है !
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झूठी दिलासा से, गम कभी कम नहीं होते,
बाद मरने के भी, ये झंझट कम नहीं होते !
ज़रा रखिये खोल कर अपनी आँखे ज़नाब,
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सत्य को कहने के लिए किसी,
शपथ की जरूरत नहीं होती ।
नदियों को बहने के लिए किसी,
पथ की जरूरत नहीं होती ।
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अब झूठी वफ़ा जताने से, भला क्या फायदा,
#मोहब्बत के हलफ़नामे, से भला क्या फायदा !
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Pappu जी आपको कभी
किसी से से #प्यार हुआ है ?
हाँ यार ,
पर वो
मानती ही नही …
क्या कहती है … ?
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