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लोग अब भी, वो पुराना राग लिए फिरते हैं
सूरज की रोशनी में, चिराग लिए फिरते हैं
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सब कुछ तो लुट गया, बस ईमान रह गया
बदनाम हो कर भी, थोड़ा सा नाम रह गया
लोगों की ढपलियों पे बजते रहे राग उनके,
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हमने ज़िंदगी को, उलझनों का शिकार बना दिया
लोगों ने अपने कुसूर का भी; गुनहगार बना दिया
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चुनाव के मौसम में
बैंकॉक जाकर राहुल गांधी ने
उन
लोगों के मुंह पर ताले मार दिए
जो यह कहते रहते हैं कि
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जीना भी आ गया, हमें मरना भी आ गया.
लोगों की नज़र को, हमें पढ़ना भी आ गया .
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दोस्तो कानों के हम भी,कच्चे नहीं हैं !
मगर तज़ुर्बे हमारे, कुछ अच्छे नहीं हैं !
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ज़िन्दगी में कितने भी आगे निकल जाएं
फिर भी सैंकड़ों
लोगों से पीछे रहेंगे!
#ज़िन्दगी में कितने भी पीछे रह जाएं
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मैं खामोश हूँ लेकिन, मैं भी जुबाँ रखता हूँ !
लोगों के छोड़े तीर, दिल में जमा रखता हूँ !
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