Kis Par Karein Aitbaar Hum
कैसे करें ऐतबार हम, भला गैरों की जात पर
जब होते हैं खुश अपने ही, अपनों की मात पर
सबसे पहले पूछते हैं खैरियत वो ही अक्सर,
जो छुप के घात करते हैं, बस ज़रा सी बात पर...
कैसे करें ऐतबार हम, भला गैरों की जात पर
जब होते हैं खुश अपने ही, अपनों की मात पर
सबसे पहले पूछते हैं खैरियत वो ही अक्सर,
जो छुप के घात करते हैं, बस ज़रा सी बात पर...
ज़रूरत नहीं है, किसी को भी ज़ख्म दिखाने की
बड़ी ही दिल फरेब है नज़र, ज़ालिम ज़माने की
किसी को देख कर ग़मज़दा मुस्कराती है दुनिया,
अब तमन्ना न रही, किसी को अपना बनाने की
बिना मांगे मिल जाते हैं ग़म हज़ार दुनिया में,
पर न होती ख़्वाहिश पूरी, ज़रा सा प्यार पाने की
#ज़िंदगी में किसी के भरोसे की चाहत क्या करें,
अब नहीं बची है हिम्मत, किसी को आजमाने की...
उनके लिये भला मैं, क्या अल्फाज़ कहूँ
उन्हें बेवफा कहूँ, या कि धोखेबाज़ कहूँ
तिल तिल मिटा दी ज़िंदगी जिनके लिये,
उन्हें मैं क़ातिल कहूँ, या कि दग़ाबाज़ कहूँ
जज़्बात उमड़ते रहे #दिल के अंदर सदा, पर
सोचता ही रहा मैं, कल कहूँ कि आज़ कहूँ
तमाम उम्र गुज़र गयी साहिल पे आते आते
इसे ज़िंदगी का अन्त कहूं, कि आगाज़ कहूं ?
अय ख़ुदा मुझ पे तू ये अहसान कर दे
बस उनकी तकदीर में तू मुस्कान भर दे
छू भी न जाएं गम उनको कभी
भले ही मेरी जान तू उनके नाम कर दे...
कुछ लोगों को उदास रहने की आदत है
खुशी में भी गम तलाशने की आदत है
घिरे रहते हैं गुज़री ज़िंदगी की याद में
उन्हें अतीत को न भुलाने की आदत है
अच्छे दिन भी उन्हें ख़्वाब से दिखते हैं
उन्हें तो ग़मों से जी लगाने की आदत है...