जो पूँछा हाल उनका, तो मूंह छुपा कर रो दिये
डबडबाई आँखों में, दर्दे दिल छुपा कर रो दिये
एक मुद्दत के बाद पाया था जिन्हें हमने यारो,
हम भी उनके हाल पर, सर झुका कर रो दिये
देखे थे #मोहब्बत के हसीन सपने हमने कभी,
हम भी दिल की बात, उनको सुना कर रो दिये
उनकी आँखों में था मोहब्बत का वो असर कि,
वो सब कुछ भूल कर, सीने से लग कर रो दिये...
वो तो हमसे, नफरत ही करते रहे उम्र भर
पर हम थे कि, #प्यार में मरते रहे उम्र भर
अपना सफ़र तो ठहर गया बंद गलियों में,
पर औरों का सफ़र, तय करते रहे उम्र भर
नाम ओ शोहरत को बेनाम कर दिया चाहे,
पर औरों का नाम, ऊँचा करते रहे उम्र भर
हमारे #दिल से खेलती रही ज़ालिम दुनिया,
और हम इशारों पे, नाच करते रहे उम्र भर
खुद दर ब दर भटकते रहे #नसीब के मारे,
पर महल दूसरों के, खड़े करते रहे उम्र भर...
दुनिया में न जाने कैसा, ये मंज़र नज़र आता है,
मुखौटों के पीछे असल में, कुछ और नज़र आता है...
पहना है भेड़िओं ने अब आदमी का चोला दोस्तो,
आँखों में देखो झांक कर, तो साफ नज़र आता है...
उनकी नज़रों में मिट्टी के घर नहीं आते
रहने वालों के उन्हें हाल नज़र नहीं आते
खुशी के आंसू ज़रा बचा कर रखना यारो
गमों के तूफान कभी कह कर नहीं आते
बड़े ही बे रहम होते हैं ये गुज़रे हुए लम्हें
बीते एक बार तो फिर लौट कर नहीं आते
मुसाफिरों के लिये दिल बेचैन क्या करिये
चल पड़ते हैं आगे फिर मुड़ कर नहीं आते...
तेरे जाने से जैसे हर खुशी चली जाती है
तू न हो तो चांद से रोशनी चली जाती है
क्या हाल होता है मेरा ये तो खुदा जाने
शरीर रहता है मगर ज़िंदगी चली जाती है
दिन कट जाता है तेरी राह तकते तकते
और रात यूं ही गुमसुम सी चली जाती है...