Shanti Swaroop Mishra

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Bachche Sayane Ho Gye Hain

आज के बच्चे, ज्यादा सयाने हो रहे हैं
वो कुछ अलग से ही, रंग में खो रहे हैं
भूल गये हैं वचपन की कहानियाँ वो,
कुछ तो अपने मां बाप से, दूर हो रहे हैं
चिढ़ाते हैं वे युगान्तर की बात कहकर,
आधुनिकता के नाम पर, बर्बाद हो रहे हैं
सादा सी ज़िंदगी रास नहीं आती उन्हें,
वो अंग्रेजियत के, काफी करीब हो रहे हैं
बुरा नहीं है जमाने के साथ चलना यारो,
पर चादर से बाहर, उनके पाँव हो रहे हैं...

Kuchh kehne se darta hoon

अब कुछ कहने कुछ सुनने से डरता हूँ मैं
उनकी महफिल में भी जाने से डरता हूँ मैं
कभी बात करते थे हम जान तक देने की
या खुदा अब तो उनके साये से डरता हूँ मैं
हमें प्यार है उनसे जानता है ज़माना सारा
पर अफ़सोस उन्हें खुद बताने से डरता हूँ मैं
अंधेरों में रहने की आदत पड़ी है इस क़दर
अब तो दिल में दीपक जलाने से डरता हूँ मैं
ख़ुदा ने इंसान बनाया इस दुनिया क़ी ख़ातिर
अफसोस ख़ुद को इंसान बताने से डरता हूँ मैं

Har gam sehna sikha diya

दुनिया की बेरुख़ी ने, चुप रहना सिखा दिया
ज़िंदगी का हर गम, हमें सहना सिखा दिया
नहीं होता अहसास हमें किसी दर्द का अब,
यूंही क़ातिलों के बीच, हमें रहना सिखा दिया
बहुत शुक्रिया उन राहों के पत्थरों का दोस्तोि,
जिन की ठोकरों ने, हमें चलना सिखा दिया
ये करम है इस खुदगर्ज़ जमाने का दोस्तो,
कि दुश्मन दोस्त में, फ़र्क करना सिखा दिया...

Ho jaye unka deedar to

हो जाएं दीदार उनके, तो इनायत होगी
मेरे दर्द ए दिल में, कुछ तो राहत होगी
हर ख़ता की सज़ा कबूल कर लेंगे हम,
गर साफ दिल से, उनकी इजाज़त होगी
ग़म के फसाने न सुनायेंगे हम उन को,
गर उन्हें सुनने में, कोई शिकायत होगी
रो लेंगे दिल खोलके कभी अकेले में हम,
मेरे बे पनाह सब्र की, गर इजाज़त होगी...

Zindagi ke safar mein manzil

किसी अज़नबी को, अपना बनाने की ज़िद न करो
किसी और की अमानत को, पाने की ज़िद न करो
रहते हैं प्यार के लुटेरे इस इलाक़े में मेरे दोस्त,
लुट जाओगे प्यार में, उधर जाने की ज़िद न करो
जो फंस गये खुद व खुद गुनाहों के दल दल में,
खुद को फंसा कर, उनको बचाने की ज़िद न करो
ज़िंदगी के सफर में सीधी राह भी पाती है मंज़िल,
टेढ़ी राहों पै चल के, मंज़िल पाने की ज़िद न करो...