जाने क्यों तुम मेरे ख्वाबों में चले आते हो
सोये हुए दर्द को फिर जगाने चले आते हो
तुझे भूल जाने की कसम खाई है मगर,
याद बनकर क्यों मेरे ख़यालों में चले आते हो
हमने की थी बे-इंतिहां मोहब्बत तुमसे,
पर तुम हो कि दगा पे दगा दिये चले जाते हो
आज भी सिर्फ तुम हो दिल के कोने में,
पर तुम हो कि दर्द पे दर्द दिये चले जाते हो...
ज़िंदगी के मैंने न जाने कितने रंग देखे हैं
कभी गैरों तो कभी अपनों के संग देखे हैं
गैरों से क्या गिला वो तो गैर ठहरे,
ज़िंदगी में अपनों के बड़े अजब ढंग देखे हैं
उनके लिये मरा तो बड़ा अज़ीज़ था मैं,
खुद के लिये किया तो चेहरे बदरंग देखे हैं
ये दुनिया सिर्फ स्वार्थों की है दोस्तो,
मैंने रिश्तों के टूटने के हज़ार प्रसंग देखे हैं.....
ऐ #दोस्त मुझे कभी तो याद किया होता
किसी के हाथों कभी तो #पैगाम दिया होता
तेरे बिना ज़िंदगी कितनी अधूरी है हमारी,
कभी हमारे हालात का तो पता किया होता
बेशक तुम्हारी नज़रों में गुनहगार हम भी हैं,
तुमने ना सही हमने तो ख़याल किया होता
पर #दोस्ती में बदले की कोई जगह नहीं दोस्त,
दोस्ती का ये फ़लसफ़ा तो याद किया होता...
हर दिल में अजीब सी, मैं घुटन देखता हूँ
पतझड़ से उजड़ा हुआ, मैं चमन देखता हूँ
अब अंधेरों में जीना सीख लो यारो क्योंकि,
सूरज की चमक में भी, मैं ग्रहण देखता हूँ
दुनिया न जाने किधर जा रही है या खुदा,
हर तरफ इंसानियत का, मैं दमन देखता हूँ
ग़मों का सैलाव उमड़ रहा है हर दिल में,
दुनिया से दुखी लोगों का, मैं रुदन देखता हूँ
सबकी तमन्ना है कि जी भर के जीलें मगर,
हर शख्स के हाथों में अब, मैं कफन देखता हूँ...