Chup kara deti hai dunia
दिल की बात करें तो, चुप करा देती है दुनिया
गर खामोश रहें तो, फसाना बना लेती है दुनिया
जीना चाहें तो जी नहीं सकते हम,
मरना चाहें तो, हज़ार पहरे बिठा देती है दुनिया...
दिल की बात करें तो, चुप करा देती है दुनिया
गर खामोश रहें तो, फसाना बना लेती है दुनिया
जीना चाहें तो जी नहीं सकते हम,
मरना चाहें तो, हज़ार पहरे बिठा देती है दुनिया...
हमने अब गमों को, अपना मुकद्दर बना लिया
अपनी आँखों को अश्कों का समंदर बना लिया
इतना तडप कर रोया ज़िन्दगी भर ये दिल,
कि उसने खुद को अब, बेजान पत्थर बना लिया...
शबनम किसी की प्यास मिटा नहीं सकती
सुई का काम कभी तलवार बना नहीं सकती
दिल का मारा समझता है ज़रूरत दिल की,
ये बात किसी और को समझ आ नहीं सकती
इश्क़ की कहानी होती है बड़ी अजीब सी,
जिसे अजीब दुनिया सुनकर पचा नहीं सकती
इश्क़ के दीवाने जलते हैं जिस आग में,
कोई घनघोर बारिश भी उसे बुझा नहीं सकती...
प्यार की दास्तां, किसी से भला क्या कहिये
खुदगर्ज़ दुनिया से, अपने अज़ाब क्या कहिये
दास्तां तो बनेगी मौत के बाद यारो,
दर्द ए दिल को, ख़ुद जुबानी भला क्या कहिये
प्यार की दास्तां खुद बता देगा ये वक़्त,
अब किसी को, अपना पराया भला क्या कहिये
भूल जाते थे ग़म जब वो पास होते थे,
अब उन गुज़रे हुए पलों को, भला क्या कहिये
आँखों की आदत होती है बस रो देना,
दिल चाहता है आज भी, तो भला क्या कहिये
अच्छा हुआ कि यार बेवफा हो गया,
हम फुरसत में जान दे दें, तो भला क्या कहिये
तक़दीर ने मदारी की तरह नचा दिया हमको
फिर फिर उठा के फिर फिर गिरा दिया हमको
हम तो किसी को ना भुला पाये आज तक,
पर खुदगर्ज़ दुनिया ने यूं ही भुला दिया हमको
जिसके लिये अपनी हस्ती मिटा दी हमने,
उसी बेदर्द बेवफा ने जी भर रुला दिया हमको
कभी नींद नहीं आती थी नरम गद्दों पर भी,
पर इस मुकद्दर ने ज़मीं पर सुला दिया हमको...