Waqt ne sab kuch sikha diya
इस वक़्त ने मुझे सब कुछ सिखा दिया
वचपन को बेचकर जल्दी बड़ा बना दिया
ये मुस्कराना भी कुछ होता है पता नहीं
बस पापी पेट के लिये भटकना सिखा दिया
इस वक़्त ने मुझे सब कुछ सिखा दिया
वचपन को बेचकर जल्दी बड़ा बना दिया
ये मुस्कराना भी कुछ होता है पता नहीं
बस पापी पेट के लिये भटकना सिखा दिया
आग तो सूरज उगलता है, पर धरती तड़पती है
गुनाह तो आँखें करती हैं, पर छाती धड़कती है
यही तो फलसफ़ा है इस जमाने का,
कुसूर किसी का, पर दुनिया किसी को पकड़ती है
दिल जीत ले उनका वो नज़र कहां से लायें
दिल में सिर्फ हम हों वो असर कहां से लायें
हमारे नसीब में तो लिखा है सिर्फ रोना,
पर इन सूनी आँखों में समन्दर कहां से लायें...
आज कल कहीं से सुकून की खबर नहीं मिलती
बेचैनियां इस कदर हैं चैन की सांस नहीं मिलती
जिधर देखता हूँ सैलाव नज़र आता है ग़मों का
मुस्कराएं भी कैसे ग़मों से फुरसत नहीं मिलती
दुनिया तो बाज़ार बन गयी, हर आदमी सौदा करता है
गैरों की बात अलग समझो, वो अपनों से सौदा करता है
मां से सौदा, बाप से सौदा, हर कदम पै सौदा करता है
बच्चों से सौदा, बीबी से सौदा, धरम से सौदा करता है
अब सच्चाई का कोई करम नहीं, झूठ से सौदा करता है
आदमी इतना नीच हो गया, वो ईमान का सौदा करता है
प्यार को एक व्यापार समझ, दिलदार से सौदा करता है
दुनिया की तो बात अलग, वो भगवान से सौदा करता है