Gairon Mein Humsafar Mil Jate Hain
कभी वीरानों में भी फूल खिल जाते हैं
कभी गैरों में भी हमसफर मिल जाते हैं
कहीं किसी को कब्र नसीब नहीं होती
तो कहीं कब्रों पर मक़बरे बन जाते हैं
कभी वीरानों में भी फूल खिल जाते हैं
कभी गैरों में भी हमसफर मिल जाते हैं
कहीं किसी को कब्र नसीब नहीं होती
तो कहीं कब्रों पर मक़बरे बन जाते हैं
कभी तो हसीन मौसम का बहाना ढूढते हैं
तो कभी ग़मगीन दिल का बहाना ढूढते हैं
कुछ नहीं तो दस्तूर का नारा लगा कर
पीने वाले तो बस पीने का बहाना ढूढते हैं
ठोकर खाकर खुद संभलने का, मज़ा ही कुछ और है
किसी रोते हुए को हंसाने का, मज़ा ही कुछ और है
प्यार में चोट खाने का अफसोस मत करो यारो,
किसी की मोहब्बत में हारने का, मज़ा ही कुछ और है
खुद ही तय करते हैं मंज़िलें, रास्ता भी खुद बनाते हैं
जीते हैं अपनी शर्त पर, अपनी दुनिया भी खुद बनाते हैं
इन्हें इश्क़ है वतन से, मरने का कोई ग़म नहीं,
ये जांबाज़ फरिश्ते हैं, जो हर जोखिम को खुद उठाते हैं
लोग फूलों से प्यार करते है पर काटों से मुंह चुराते हैं
फूलों की ज़िंदगी ही क्या वो तो जल्दी ही सूख जाते हैं
ज़िंदगी तो कांटों की होती है बड़ी लम्बी
जो खिलखिलाती ज़िंदगी में अपनी चुभन छोड़ जाते हैं