गर चाहिए मोहब्बत, तो काबिल बनिए,
तपती धूप नहीं, खुशनुमा बादल बनिए !
बन के बारूद क्या मिलेगा तुम्हें दोस्त,
बन सको तो, आँखों का काजल बनिए !
न मुस्कराओ किसी को डूबता देख कर,
गर बन सको तो, उसका साहिल बनिए ! #ज़िन्दगी में ज़रा संभल कर चलिए दोस्त,
न ज्यादा सुर्ख़रू, न ज्यादा जाहिल बनिए !!!!
घर बैठे कभी फूल, मुस्कराने नहीं आते,
बिन ख़ुशी, मोहब्बत के तराने नहीं आते !
नफ़रत को उजड़ा हुआ आशियाँ समझो,
जहां पंछी भी कभी, सर छुपाने नहीं आते !
खुश्क आँखें भी कर देती हैं वयां हाले दिल,
उनको भी दिल के राज़, छिपाने नहीं आते !
क्यों छोड़ा था सफ़र में यूं अकेला उनको,
यारा लौट कर कभी, यार पुराने नहीं आते !
शहर की फ़िज़ाओं से बच कर रहिये दोस्त,
आग लगाने आते हैं लोग, बुझाने नहीं आते !
बेहतर, भूल जाओ गुज़रे लम्हों को दोस्त,
क्योंकि लौट कर फिर, वो जमाने नहीं आते !!!
ग़मों का आलम, बदलते भी देर नहीं लगती,
खुशियों के रंग, बिगड़ते भी देर नहीं लगती !
भुला दिया जिसको कभी बेकार समझ कर,
उसका मुकद्दर, बदलते भी देर नहीं लगती !
जो खाते हैं कसम वफ़ाओं की अच्छे दिनों में,
वक़्त-ए-ग़र्दिश में, बदलते भी देर नहीं लगती !
मौसम का क्या भरोसा कब बदल दे मिज़ाज,
चाल इन हवाओं की, बदलते देर नहीं लगती !
न बहको दोस्त इतना मंज़िल को करीब देख,
अंजाम-ए-सफर को, बदलते भी देर नहीं लगती !!!
हम कोई अकेले नहीं, परेशान और भी हैं,
अभी तो देखा है क्या, मुकाम और भी हैं !
न समझो कि गुज़र गए फरेबों के दिन,
अभी तो ज़िंदगी में, कोहराम और भी हैं !
वो वादे वो इरादे सब झूठ हैं मेरे दोस्त,
अभी ठगने के लिए, इंतज़ाम और भी हैं !
कैसे छूट पाएंगे हम इस जिद्दो ज़हद से,
अभी हमारे सर पर, इल्ज़ाम और भी हैं !
न सोचो कि बात बस इतनी सी है दोस्त,
अभी इस नसीब के, इम्तिहान और भी हैं !!!
आज तो दिल में, यादों का चमन सजा बैठा है,
अतीत का हर लम्हा, काबिले याद बना बैठा है !
वक़्त था कि रोज़ मिलते थे अपने यारों से हम,
अब तो कोई कहीं, तो कोई कहीं जमा बैठा है !
आये थे इस शहर में जोशो जवानी लेकर हम,
मगर अब कोई नाना, तो कोई दादा बना बैठा है !
आये थे आशाओं से भरा निश्छल दिल लेकर,
अब कोई अहम्, तो कोई वहम का मारा बैठा है !
हमने भी देखे थे कभी नज़ारे खुली आँखों से,
अब तो उन पर, ये बुढापे का चश्मा चढ़ा बैठा है !
क्या इसी को कहते हैं #ज़िंदगी जीना दोस्त कि,
जो था सहारा औरों का, अब लाचार बना बैठा है !
न पहचान पाओगे अपनों को भी अब,
अब हर कोई, अपने चेहरे पर मुखौटा लगा बैठा है !!!