Shanti Swaroop Mishra

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Mohabbat piche chhod aaye

मोहब्बत के निशां, हम पीछे छोड़ आये हैं,
ख्वाबों की ज़िंदगी, हम पीछे छोड़ आये हैं !
हम भी चले थे #मोहब्बत की राहों पर कभी ,
पर बे-अंजाम सफ़र, हम पीछे छोड़ आये हैं !
#दिल के मचलने से कभी ज़िंदगी नहीं चलती,
चाहतों का हर सबब, हम पीछे छोड़ आये हैं !
ज़रुरत नहीं हमें किसी के मशविरे की दोस्त,
नसीहतों का दौर तो, हम पीछे छोड़ आये हैं !
जो न था #नसीब में उसे क्या याद करें दोस्त ,
यादों से भरी पोटली, हम पीछे छोड़ आये हैं !

Nafrat Ka Samandar

जिधर देखता हूँ, बेरुखी का मंज़र दिखता है,
मुझे हर तरफ, #नफ़रत का समंदर दिखता है !
ज़िगर को चाक करने बैठे हैं न जाने कितने,
मुझे तो हर किसी के हाथ में, खंज़र दिखता है !
कभी लहलहाती थीं खुशियों की फसलें इधर,
अब तो हर तरफ, वीरान सा बंज़र दिखता है !
कुछ ऐसा बदला है इस ज़माने का दस्तूर यारो,
कि नहीं आता वो बाहर, जो अंदर दिखता है !

Kaisa Muqaddar Bna Diya

पूछूँगा विधाता से मैं, कि ये कैसा मुकद्दर बना दिया,
न बचा था ठौर कोई, जो आँखों को समंदर बना दिया !
सारी ज़िंदगी गुज़र गयी यूं ही अपनों के आगे झुकते,
क्या बिगाड़ा था उसका, जो इतना कमतर बना दिया !
दर्द औरों का देख कर खुशियां भुला दीं मैंने अपनी,
मगर मेरे लिए हर #दिल, उसने क्यों पत्थर बना दिया !
जिसे भी समझा कुछ अपना चला गया देकर धोखा,
क्यों ज़िन्दगी को उसने, बोझिल इस कदर बना दिया !
अगर और भी सितम थे झोली में उसकी वो भी दे देता,
भुगत लेता उनको भी, अब तो दिल बेअसर बना दिया !
नहीं हूँ मैं अकेला जाने कितनों के ये जज़्बात हैं यारो,
कि उसने #ज़िंदगी तो दे दी, पर जीना बदतर बना दिया !

Kuch Logon Ki Aadat

कुछ लोगों को, बस कमियां गिनने की आदत होती है,
दूसरों के घर में, झाँक कर निकलने की आदत होती है !
ख़ुदाया भले ही न आता जाता हो उनको कुछ भी मगर,
खुद को हर फन में, माहिर समझने की आदत होती है !
कोंन है दुनिया में जो न जानता ऐसे लोगों की फितरतें,
फिर भी उन्हें जाने क्यों, सुर्ख़रू बनने की आदत होती है !
बच के ही रहने में कुशल है ऐसे कुशल लोगों से दोस्त,
उन्हें बिना मांगे ही, मशवरा देते रहने की आदत होती है !

Wo Pyar Nahi Milta

ढूंढते हैं जिसे हसरतों से, वो प्यार नहीं मिलता,
खार मिलते हैं मगर, गुले गुलज़ार नहीं मिलता
इस दुनिया में मिल जाती है ढूंढने से हर चीज़,
मगर दिल में बस जाये, वो शाहकार नहीं मिलता
ढूंढ लेता है आदमी खुशियाँ औरों के आँगन में,
मगर अफ़सोस, उसे अपना परिवार नहीं मिलता
खुदाया क्या गज़ब है कि माँ भी बाँट दी लोगों ने,
अपने ही घर में उसे, कोई अधिकार नहीं मिलता
खुद भूखी रह कर पाला था जिन बेटों को उसने,
आज अपने ही घर में, भर पेट आहार नहीं मिलता
शर्म आती है मुझे जब देखता हूँ ऐसे वाकये दोस्त,
कैसे बदलेगी ये दुनिया, कोई उपचार नहीं मिलता...