कभी इधर ढूंढ़ता हूँ, तो कभी उधर ढूंढ़ता हूँ,
दिल की हर धड़कन, और कोनों में ढूंढता हूँ
न मिला मुझे बीते कल का कोई भी लम्हां,
मैं कोई अतीत का, प्यारा सा अक्स ढूंढ़ता हूँ
मैं भूल गया रख कर कहीं यादों की पोटली,
मैं अपने बचपन के, खेलों का आँगन ढूंढता हूँ
ऊब सा गया हूँ मैं ये कौन सी उम्र है ,
कि मैं खुद में क्यों, जवानी की धमक ढूंढ़ता हूँ...
किसी को आखिर हम भुलाएँ कैसे,
किसी को बे सबब हम रुलायें कैसे !
झूठे सपने दिखाना नहीं आता हमें,
किसी को चंगुल में हम फँसाएं कैसे !
कितने ग़म दिए हैं ज़माने ने हमें,
किसी को दर्द ए दिल हम बताएं कैसे !
लोग उड़ाते हैं हंसी हालात की यूं ही,
किसी को मुकद्दर हम दिखाएँ कैसे !
सहते रहे कितनों के फिकरे उम्र भर,
मगर औकात उनकी हम बताएँ कैसे !
भले ही कुचल डाला दिल हमारा,
पर उनको ज़ख्म अपने हम दिखाएँ कैसे !
अगर हौसला है, तो मंज़िल मिल ही जाएगी,
गर न मिली आज, तो कल मिल ही जाएगी !
हिम्मत न हार अपने पथ से न भटक दोस्त,
अगर भरोसा है खुद पर, राह मिल ही जाएगी !
मत भूल कि वक़्त को बदलते देर नहीं लगती,
खुदाया एक दिन, तेरी चाहत मिल ही जाएगी !
जीत के लिए अपनी हार को न भुलाओ,
अगर सच्ची है लगन तो जीत मिल ही जाएगी !
कभी जलते थे दीप खुशियों के, अब अँधेरा हो गया,
अब तो किसी से प्यार करना, जी का झमेला हो गया !
वो चाहता है बदला चुकाना मेरी नेंमतों का दौलत से,
क्या लौटा सकेगा मुझको, जो सम्मान मेरा खो गया !
ये नादान दिल ना देख पाया उसमें उमड़ते ज़हर को,
जब तक समझ आता उसे, वो बेहद विषैला हो गया !
किस ख़ता की ये सजा है बस सोच कर हम हैरान हैं,
इतना पता तो है हमें कि, वो दुश्मन का चेला हो गया !
यूं तो तराने #प्यार के कभी हमने भी गाए थे यारो
पर दुनिया के इस रंग में, दिल फिर से अकेला हो गया !
क्यों चले आते हैं लोग, यूं ही जी जलाने के लिए !
कर के खुशियों का वादा, उम्र भर रुलाने के लिए !
खुद ही तो पास आते हैं दिलरुबा बन कर वो तो,
फिर कौन कहता है उन से, दूरियां बढ़ाने के लिए !
निभाते हैं कुछ लोग तो प्यार का बंधन उम्र भर,
पर कुछ लोग बनते हैं मीत, मतलब बनाने के लिए !
क्या जानेगा भला वो अश्कों की कीमत,
आता है जो बाज़ार में, धंधा ज़माने के लिए !