कुछ लोग ज़िन्दगी में, बड़े ही ख़ास होते हैं !
हों दूर कितने भी मगर, दिल के पास होते हैं !
बदल दे वक़्त उनको चाहे कितना भी मगर,
दिल के हर कोने में, उनके अहसास होते हैं !
एक बड़ा सा नाटक है ये ज़िन्दगी भी दोस्तो,
कभी सुनते हैं तालियां, कभी निराश होते हैं !
गुज़रे हुए लम्हें कभी वापस नहीं आते,
लोग फिर भी यादों को सजाये, उदास होते हैं !
ना पूछिये कि ये ज़िन्दगी कैसे गुज़री
हमारी वो सहर ओ शाम कैसे गुज़री
मुद्दत गुज़र गयी यूं डूबते उछलते
ये तो दिल जानता है कि कैसे गुज़री
जो थे अपने गैरों से बदतर निकले
सोचो सितारों के बिन रात कैसे गुज़री #मंज़िल तो थी मगर रस्ते न थे खाली
न पूछो कटीली वो रास्ता कैसे गुज़री
उम्र का ढलान है यादें ही यादें हैं
अब क्यों मरें सोच कर कि कैसे गुज़री !!!
अपने बदनसीब का, मुझको गिला कुछ भी नहीं
पर मुश्किलों के सिवा, मुझको मिला कुछ भी नहीं
हीरे मोतियों में खेलने की चाहत न थी मेरी कभी,
पर मेरे सब्र का सिला, मुझको मिला कुछ भी नहीं
अब तो यूं ही खुश रहना सीख लिया है मैंने यारो,
हमेशा ग़मों में खो कर, मुझको मिला कुछ भी नहीं
अपनों की बेरुखी से दम घुटने लगा है अब,
उठाये नाज़ सबके मगर, मुझको मिला कुछ भी नहीं
हमसे नफरतों का बोझ अब सहा नहीं जाता
हमसे अपनों के फरेबों में अब रहा नहीं जाता
भुगती है उम्र भर बद गुमानियाँ लोगों की
हमसे किसी का मिज़ाज़ अब सहा नहीं जाता
एक मुद्दत गुज़र गयी उजाले की तलाश में
हमसे अंधेरों का ये मंज़र अब सहा नहीं जाता
कैसे जी लेते हैं लोग दुनिया में अकेले अकेले
हमसे तन्हाइयों में रहना अब सहा नहीं जाता
मनाते रहे ताजिंदगी हम रूठे हुओं को ,
हमसे किसी का यूं रूठना अब सहा नहीं जाता...
यारो पत्थर दिलों से, कभी प्यार मत मांगो
अपने जिगर के लिए, पैनी कटार मत मांगो
जीना है गर प्यार से तो तन्हा जीलो मगर,
किसी के साथ जीने का, इख्तियार मत मांगो
न झेल पाओगे तुम इस #मोहब्बत के झटके,
तुम अपनी ज़िन्दगी का, खरीदार मत मांगो
कभी खिज़ाओं में बहार नहीं आती है, #गुलशन के काँटों से, फूलों सा प्यार मत मांगो