Shanti Swaroop Mishra

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Main Khrab Ya Zamana?

मैं ख़राब हूँ, तो ज़माने को ख़राब कैसे कह दूँ
होश बाक़ी है अब तक, उसे शराब कैसे कह दूँ
मेरे #दिल को पता है अपनी औकात की हद,
फिर उसकी चाहतों को, बेहिसाब कैसे कह दूँ
जिंदगी भर करता रहा गलतियां ही गलतियां,
भला उसके वज़ूद को, यूं लाज़बाब कैसे कह दूँ
ज़िन्दगी तो ख़ुदा की बख़्शी नेमत है,
मैं उसके दिए सामान को, अज़ाब कैसे कह दूँ...

Zindagi se bhagne wale

जो डर के भागता है ज़िंदगी से, उसे हम क्या कहें
खुद लटक जाता है जो फंदे पे, उसे हम क्या कहें
भूल जाता है माँ बाप के प्यार का हर पल छिन,
कर देता है जो पागल शोक में, उसे हम क्या कहें
हर हाल में है जीना यहां ये तो ख़ुदा का हुक्म है,
जो उसकी भी नाफरमानी करे, उसे हम क्या कहें
मज़दूर से सीखो कि कैसे चलाता है घर अपना,
जो खुद को भी न संभाल पाये, उसे हम क्या कहें
जां गंवाता धरती मात पे उसे शहीद कहते हैं,
जो जननी को बिलखता छोड़ दे, उसे हम क्या कहें ?

Waqt kisi ka intzaar nhi karta

दुख कभी सुख का, इंतज़ार नहीं करता
दर्द कभी मरहम का, इंतज़ार नहीं करता
जो दिया इस #जिंदगी ने प्यार से लेलो
आखिरी #व़क्त किसी का इंतजार नहीं करता

Auron Ki Galtiyan Dhoondte Hain

लोगों को अपनी गलतियों का, अहसास नहीं होता
दूसरों की कमियां ढूढे बिना, समय पास नहीं होता
बस एक दूसरे की कमियां ढूढते रहते हैं हम,
अगर खूबियाँ ढूढते, तो दिलों में खटास नहीं होता..

Wo Mohabbat Na Mili

ज़िन्दगी बिता दी मगर वो मोहब्बत नामिली
अपनों की बेरूखी से हमें कभी फुर्सत ना मिली
बस यूं ही गुज़र गयी ज़िन्दगी भागते दौड़ते
मगर कहीं पे सुकून की हमें वो दौलत न मिली
अफसोस लोगों ने जब कूड़ा समझ लिया तो
दुनिया के बाज़ार में हमें कोई कीमत न मिली
“मिश्र” देखते रहे यूं ही गुज़रे कारवां की गर्द
पर किसी के साथ जाने की वो हिम्मत न मिली