कभी नाम बदल लेता है, कभी काम बदल लेता है
सब कुछ पाने की ललक में, वो ईमान बदल लेता है

इस बेसब्र आदमी को नहीं है किसी पे भी भरोसा,
गर न होती है चाहत पूरी, तो भगवान् बदल लेता है

है कैसा आदमी कि रखता है बस हड़पने की चाहत,
गर मिल जाए कुछ मुफ्त में, तो आन बदल लेता है

इतने रंग तो कभी गिरगिट भी नहीं बदल सकता है,
यारो जितने कि हर कदम पर, ये इंसान बदल लेता है

कमाल का हुनर हासिल है मुखौटे बदलने का इसको,
पड़ते ही अपना मतलब, झट से जुबान बदल लेता है

“मिश्र” काटता है बड़े ही ढंग से ये अपनों की जड़ों को,
सामने दिखा के भारी ग़म, पीछे मुस्कान बदल लेता है
 

Leave a Comment


Notice: ob_end_clean(): Failed to delete buffer. No buffer to delete in /home/desi22/desistatus/view.php on line 331
0