मेरे बीते दिन फिर से लौटा दे कोई
मेरे होठों पै हंसी फिर सजा दे कोई
वक़्त की मार से घायल है दिल,
उस पै थोड़ा सा मरहम लगा दे कोई
ज़फाओं के मेले से निकला हूं मैं,
फिर से सुख चैन वापस दिला दे कोई
मेरे जीवन के उजड़े हुए गुलशन में,
फिर से खुशियों के फूल खिला दे कोई
उड़ गए थे जो कभी वीराना देख कर,
मेरे उन परिंदों को फिर से बुला दे कोई
अंधेरों में रहते बहुत वक़्त गुज़रा,
अब तो उजालों का मौसम दिखा दे कोई...
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