रिश्तों के टूट जाने से अरमान बिखर जाते हैं
जिंदगी की दौड में यूं ही कदम ठहर जाते हैं
सब्र का पैमाना क्यों गिर गया है इतना
कि अब खून के रिश्ते भी बेजान नज़र आते हैं

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