जब बदलता है वक़्त, लोग याराना बदल देते हैं
जब दरकती हैं दीवारें, तो आशियाना बदल देते हैं
इस अजीब दुनिया की असलियत यही है दोस्तो,
जब सूखता है दरख़्त, पखेरू ठिकाना बदल देते हैं
खुल सकती हैं गांठें बस ज़रा से जतन से मगर,
लोग कैंचियां चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं
जो गाते हैं सदा गीत सिर्फ उनकी शख्सियत के
जब आता है वक़्त ख़राब, वो तराना बदल देते हैं...
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