कभी सपनों को सजाने में, उम्र गुज़र जाती है,
कभी रिश्तों को बचाने में, उम्र गुज़र जाती है !
उजड़ने के लिए तो बस एक लम्हा काफी है,
मगर उस घर को बनाने में, उम्र गुज़र जाती है !
कोई तो खेलता है लाखों करोड़ों की दौलत में,
तो किसी की घर चलाने में, उम्र गुज़र जाती है !
आ जाते हैं ग़म बिन बुलाये मेहमान की तरह.
मगर ज़रा सी ख़ुशी लाने में, उम्र गुज़र जाती है !
वक़्त नहीं लगता अपनी इज़्ज़त गंवाने में दोस्त,
मगर यही इज़्ज़त बनाने में, उम्र गुज़र जाती है !!!

Leave a Comment


Notice: ob_end_clean(): Failed to delete buffer. No buffer to delete in /home/desi22/desistatus/view.php on line 331
0