कदमों की आहट से भी जान लेते हैं हम
कितना ही छुपें मगर पहिचान लेते हैं हम
भले ही छुपाएँ ज़ज़्बात वो हमसे मगर
आँखों में झांक कर सब जान लेते हैं हम
नहीं दिखता कुछ ग़मों की अंधेरी रातों में
तब उनकी यादों का दिया बाल लेते हैं हम
ये दुनिया बड़ी ही दिल फ़रेब है मगर
जाने क्यों उनकी हर बात मान लेते हैं हम

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