बा -मुश्किल मिली है आज़ादी, ज़रा संभल के रहिये
पहना दे बेड़िया फिर से न कोई, ज़रा संभल के रहिये
ज़र्रे ज़र्रे में मिला है खून शहीदों का वतन वालो,
ऐसी ज़मीने हिंद को न घूरे कोई, ज़रा संभल के रहिये
खिसका देते हैं पडोसी कुछ नाग हमारे घर में भी
हमें फन उनका भी कुचलना है, ज़रा संभल कर रहिये
डटे हैं जांबाज़ सीमा पर आँखें लगाये दुश्मनों पर
घर के अंदर भी हैं दुश्मन हमारे, ज़रा संभल कर रहिये
लहराता रहे तिरंगा अज़ीमो शान से हर तरफ
उठे न कोई बदनज़र उस पर कभी, ज़रा संभल कर रहिये

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