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Dooriyon ka kya karein ?

मिलना तो चाहे दिल मगर, इन दूरियों का क्या करें,
हैं ज़िगर में पैबस्त जो, उन मज़बूरियों का क्या करें !
मैं तोड़ डालूं ये बेड़ियाँ ये चाहत है मेरे कदमों की,
पर बेरूख़ी से भरी उनकी, तिजोरियों का क्या करें !
मेरा दर्दे दिल न समझे कोई तो शिकवा नहीं मगर,
बदनाम हम जिनसे हुए, उन मश्हूरियों का क्या करें !
इन फासलों को ले कर कभी होते नहीं रिश्ते फ़ना
पर बनतीं पास रह कर भी, उन दूरियों का क्या करें !
न बदली हैं न बदलेंगी हवाएं इस जमाने की दोस्त,
जब फैली है दुर्गन्ध इतनी, तो कस्तूरियों का क्या करें !!!

Kabhi Bhool Nahi Payenge

खूबियाँ इतनी तो नही हम में
कि तुम्हे कभी याद आएँगे पर
इतना तो ऐतबार है हमे खुद पर,
आप हमे कभी भूल नही पाएँगे !!!

Ye Purane Zakham Kyun

क्यों फिर रहे हो यूं ही, ये पुराने ज़ख़्म लिए हुए,
जलते रहोगे कब तक, अपनों की शरम लिए हुए !
अब न रहा दुनिया में कोई साफ़ दिल मेहरवान,
कब तक जियोगे यक़ीन में, झूठी कसम लिए हुए!
क्यों क़ैद हो तुम उन ज़फाओं की यादों में दोस्त,
कैसे रहोगे दुनिया में, उल्फ़त का धरम लिए हुए!
वो वक़्त अब गुज़र गया जिसे ढूंढते हो दर ब दर,
जी सकोगे कैसे अब, अपना ईमानो करम लिए हुए !
निकाल फैंको ग़ुबार सारे जो सजा रखे हैं सालो से,
वरना न चल सकोगे दोस्त, इतना वहम लिए हुए !

Mann Udas Ho Gya

देखा हाल गुल का, तो बदहवास हो गया ,
काँटों का दख़ल देखा, मन उदास हो गया !
यूं तो आम था उस राह से गुज़रना अपना,
मगर आज का गुज़रना, तो ख़ास हो गया !
देखा तितलियों को उलझते हुए काँटों से,
अब दुष्टता का हर तरफ ही, वास हो गया !
बुलाया था फूल ने देकर दोस्ती का वास्ता,
मगर फूल भी दुष्ट काँटों का, ख़ास हो गया !
न आता कोई अब किसी की मदद करने ,
दुनिया भी बहरी हो गयी, अहसास हो गया !
न रही अब शराफ़त बेच डाला ईमान भी,
शर्म जो बाक़ी थी, उसका भी नाश हो गया !

Tum To Zalim Nikle

तुम तो बड़े ज़ालिम, दिले नाशाद निकले ,
समझा मासूम परिंदा, पर सय्याद निकले !
सोचा कि तड़पता होगा तुम्हारा भी दिल,
मगर तुम तो दिल से, निरे फौलाद निकले !
हंसी ख्वाबों को सजाया था जतन से हमने,
मगर ये किस्मत के लेखे, नामुराद निकले !
लगा दीं तोहमतें हज़ार तुमने हम पर दोस्त,
पर हम पर लगे इल्ज़ाम, बेबुनियाद निकले !
हम तो आये थे इधर, खुशियों की तलाश में
मगर जिधर भी निकले, हो के बर्बाद निकले !!!