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Apni Taqdeer Ka Silsila

अपनी तक़दीर में तो कुछ
ऐसा ही सिलसिला लिखा है,
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए
अपना बनाया,
तो किसी ने अपना बना कर
वक़्त गुज़ार लिया…..

Saamne beeti kahani aa gayi

वो आये मेरे घर, जैसे रवानी आ गयी
मायूस #दिल में, फिर से जवानी आ गयी
अफसोस बिना मिले ही चले गये वो,
#ज़िंदगी में इकदम, जैसे वीरानी छा गयी
चैन के कुछ पल भी मयस्सर न हुए
फिर से मेरे सामने बीती कहानी आ गयी...

Kabhi to bahaar aayegi

गर मुक़र्रर की है सज़ा उसने, तो कोई बात नहीं
उसकी दी हर सज़ा हम सह लेंगे, कोई बात नहीं
हमें ग़म नहीं कि उजाड़ है ज़िंदगी हमारी,
कभी न कभी तो आयेगी बहार, कोई बात नहीं...

Kyun Ye Dard Jata Hai

Kyu Ye Dard Jata Nahi ?
Kyu Ye Kisi Ko Yaad Aata Nahi,
Kehne Ko To Ye Dard Meetha Hota Hai,
Phir Kyu Dil Se Ye Saha Jata Nahi ???

Wo humse nafrat karte rahe

वो तो हमसे, नफरत ही करते रहे उम्र भर
पर हम थे कि, #प्यार में मरते रहे उम्र भर
अपना सफ़र तो ठहर गया बंद गलियों में,
पर औरों का सफ़र, तय करते रहे उम्र भर
नाम ओ शोहरत को बेनाम कर दिया चाहे,
पर औरों का नाम, ऊँचा करते रहे उम्र भर
हमारे #दिल से खेलती रही ज़ालिम दुनिया,
और हम इशारों पे, नाच करते रहे उम्र भर
खुद दर ब दर भटकते रहे #नसीब के मारे,
पर महल दूसरों के, खड़े करते रहे उम्र भर...