ज़िंदगी के सफर में, मैं बिखरता ही रहा
गिर गिर के फिर से, मैं संवरता ही रहा
आते रहे ग़म के तूफ़ां रस्ते में लेकिन,
दिल में हौसले का सूरज, चमकता ही रहा
गर्दिशों में न मिला सहारा अपनों से ज़रा,
मुसाफिर की तरह यूं ही, मैं भटकता ही रहा
पल पल सिमटते गये ज़िंदगी के लम्हें,
न मिला हमसफ़र कोई, मैं मचलता ही रहा
चंद कदमों का फासला ही बचा है अब,
सुकून ही सुकून है जिसको, मैं तरसता ही रहा...
ज़िंदगी तो वीरान है, और बस कुछ भी नहीं
यूं धड़कनें ही शेष है, और बस कुछ भी नहीं
दुनिया के अजब चक्र में फंस गया हूँ मैं यारो,
इतना सा फसाना है, और बस कुछ भी नहीं
कोई ख्वाहिश न बची कुछ भी पाने की अब,
ज़रा सा प्यार चाहिये, और बस कुछ भी नहीं
ज़िंदगी के सफर में कांटों की कमी नहीं यारो,
अकेला ही चलूँगा मैं, और बस कुछ भी नहीं
मिलाया था हाथ जिनसे अपना समझ कर,
उसने ही दिया धोखा, और बस कुछ भी नहीं
अपनो से ज्यादा तो गैरों ने समझा मुझे,
दूर की सलाम काफी है, और बस कुछ भी नहीं...
ज़रा देर तो ठहर, मेरे दिल से उतर के ना जा
अपनी ज़िद में आ के, हमें बर्बाद कर के ना जा
हमें गम नहीं तेरी जुदाई का सनम,
पर तू अपने दिल में, उदासियाँ भर के ना जा
समेटे थे दामन में हए दुख सुख तेरे,
तू इस तरह ज़िंदगी से, फिर बिखर के ना जा
क्या कहोगे हमारी उलफत के सवाल पे,
इस तरह बिना कुछ कहे, नज़र छिपा के ना जा
ख़ामियां तो होती हैं हर शख्स में जानम
मेरी ख़ामियों की तपिश, दिल से लगा के ना जा
यादों के सिवा कुछ भी न बचा मुझ पर
उन यादों के पुलंदों में तू, यूं आग लगा के ना जा...
ना जानें क्यों मेरा, हर भरोसा टूट जाता है
जिसको भी चाहूँ दिल से, वही रूठ जाता है
क्या #नसीब है मेरा समझ नहीं आता मुझे,
जिसका भी साथ पकडूं, अक्सर छूट जाता है