Dil Mein Jagah Nahi
Pasand Karta Hun Har Haseeno Ko,
Dil Mein Basane Ke Liye Jagah Nahi...
Thukra Dete Hain Begane Samajhkar,
Uski Hoti Koi Thukraane Ki Wajah Nahi !!!
Pasand Karta Hun Har Haseeno Ko,
Dil Mein Basane Ke Liye Jagah Nahi...
Thukra Dete Hain Begane Samajhkar,
Uski Hoti Koi Thukraane Ki Wajah Nahi !!!
हमें परायों से नहीं, अपनों से डर लगता है
हमें तो सच से नहीं, सपनों से डर लगता है
दिल में चाहत के तूफ़ान तो बहुत हैं मगर,
हमें तो बनावटी, मोहब्बतों से डर लगता है
हमने देखा है बहुत कुछ ज़िंदगी में यारो,
हमें शातिरों से नहीं, शरीफों से डर लगता है
जाने कितने किरदार देखे हैं उम्र भर हमने,
हमें चाशनी में पगी, बातों से डर लगता है
अब न दिखता है कोई मेल चेहरे का दिल से,
हमें दिल में उमड़ते, ज़हरों से डर लगता है
चाहत तो हमारी भी है सितारे छूने की मगर,
हमें आसमां से नहीं, खजूरों से डर लगता है
न समझ लेना ये कि हम तो कायर हैं "मिश्र",
हमें तो शेरों से नहीं, सियारों से डर लगता है
वो मुस्कराये क्या, कि हम आशिक़ी समझ बैठे,
हम तो मौत के सामान को, ज़िन्दगी समझ बैठे
ये ख़ुदा का कुफ्र था, या फिर नादानियाँ हमारी,
कि धुप अंधेरों को यारो, हम चांदनी समझ बैठे
न समझ पाए हम, उसके अंदर भड़कते शोर को,
उसके राग खुन्नस को, हम रागिनी समझ बैठे
इसे हम वक़्त की मार कहें, या फिर बदनसीबी,
कि पत्थर की मूरत को, हम महजबीं समझ बैठे
वाह क्या ही अक्ल पायी है, परखने की हमने भी,
कि हलाहल की बूंदों को, हम चाशनी समझ बैठे
बड़ा ही शातिर बहुरूपिया, निकला वो तो "मिश्र",
कि उस कपटी मुखौटे को, हम सादगी समझ बैठे
यूं ही कभी तालियां, तो कभी गालियां मिलती रहेंगी
कहीं पर ग़म, तो कहीं पर शहनाइयां मिलती रहेंगी
बड़ी ही अजीब शय है, ये #ज़िन्दगी की राहें भी यारो,
यहाँ तो कभी दौड़, तो कभी बैसाखियाँ मिलती रहेंगी
आये हो इस दुनिया में, तो बस इतना समझ लो दोस्त,
यहाँ तो कभी भीड़, तो कभी तन्हाईयाँ मिलती रहेंगी
इस #मोहब्बत के नाम पर, कभी बेसब्र मत होना यारा,
यहाँ तो कभी दोस्ती, कभी दुशबारियाँ मिलती रहेंगी
यूं न खेलिए इधर खेल, सिर्फ जीत और जीत के वास्ते,
यहाँ तो कभी जीत, तो कभी नाकामियां मिलती रहेंगी
यारा न करना कभी यक़ीं, किसी को अपना समझ कर,
यहाँ तो कभी शराफत, कभी मक्कारियां मिलती रहेंगी
इस वक़्त की टेढ़ी चालों से, ज़रा संभल के रहना "मिश्र",
यहाँ तो कभी फांके, तो कभी खुशहालियाँ मिलती रहेंगी !!!
अब किसी की घात का, अहसास नहीं होता !
ज़ख्मों में उठी टीस का, अहसास नहीं होता !
गालियां भी दे कोई तो शिकवा नहीं हमको,
अब तो किसी अंदाज़ का, अहसास नहीं होता !
कुछ इस कदर बदला है ज़िन्दगी का मिज़ाज़,
कि अब ग़म या ख़ुशी का, अहसास नहीं होता !
परेशान हूँ मैं इतना अपने बीमार दिल से यारो,
अब तो किसी भी चाह का, अहसास नहीं होता !
बरसे हैं दिल पर जुबां के पत्थर कुछ इस तरह,
अब तो किसी भी चोट का, अहसास नहीं होता !
ये मोहब्बतें ये हसरतें सब मन का खेल हैं "मिश्र",
अब किसी की फितरत का, अहसास नहीं होता !!!