Gulab Aankhein Sharab Aankhein
Gulab Aankhein Sharab Aankhein,
Yahi To Hain Lajawab Aankhein...
Inhi Mein Ulfat Inhi Mein Nafrat,
Sawal Aankhein Jawaab Aankhein...
Gulab Aankhein Sharab Aankhein,
Yahi To Hain Lajawab Aankhein...
Inhi Mein Ulfat Inhi Mein Nafrat,
Sawal Aankhein Jawaab Aankhein...
दिल के सागर में लहरें उठाया ना करो,
ख्वाब बनकर नींद चुराया ना करो
बहुत चोट लगती है मेरे दिल को
तुम ख्वाबों में आकर यूँ तडपाया ना करो...
लोग अब भी, वो पुराना राग लिए फिरते हैं
सूरज की रोशनी में, चिराग लिए फिरते हैं
इधर तो कहीं भी ठंडक नहीं मिलती यारो,
अब दिलों में भी लोग, आग लिए फिरते हैं
ढूंढते फिरते हैं लोग औरों में ख़म ही ख़म ,
पर वो ख़ुद भी ढेर सारे, दाग लिए फिरते हैं
न जमती हैं लोगों को अब ईमान की बातें,
न जाने लोग कैसा, बददिमाग लिए फिरते हैं
ज़रा बच के ही रहना भोली सूरतों से "मिश्र",
अरे यही तो आस्तीनों में, नाग लिए फिरते हैं
ज़िन्दगी में कभी कांटे, तो कभी गुलाब मिलते हैं
कभी मोहब्बतों के रंग, तो कभी अज़ाब मिलते हैं
ये दुनिया तो भरी पड़ी है अजीब से किरदारों से,
कहीं पे गिद्धों की टोली, तो कहीं सुर्खाब मिलते हैं
मत समझ लेना कि सब कुछ बराबर है दुनिया में,
कहीं दौलत ही दौलत, कहीं ख़ानाख़राब मिलते हैं
न समझ पाओगे कभी इस ज़माने की चालों को,
यहाँ मिलते हैं कभी शातिर, कभी जनाब मिलते हैं
अब तो जलवा है हर तरफ जालसाजों का "मिश्र",
कहीं मिलते हैं ज़रा कम, कहीं बेहिसाब मिलते हैं
Samay Ne Jab Bhi
Andhero Se Dosti Ki Hai...
Jala Ke Apna Hi Ghar
Humne Roshni Ki Hai...
Saboot Hai Mere Ghar Mein
Wo Spasht Dhabbe,
Jahan Kabhi Ujjalon Ne
Khudkhushi Ki Hai !!!