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शरीफ़ों को दुनिया में, अब इज़्ज़त नहीं मिलती,
मुफ़्त में किसी को, अब मोहब्बत नहीं मिलती !
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हम तो जालसाजों के जालों में फंस गए,
बेसबब ही खामो ख़यालों में फंस गए !
इससे तो रात का अँधेरा ही बेहतर था,
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अपनी ज़िन्दगी ने, कितने ही बवाल देखे हैं !
जो थे कभी अपने, उनके भी कमाल देखे हैं !
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ख़ुदा महफूज़ रखे,
आपको तीनों बलाओं से,,,
वकीलों से, हक़ीमों से,
और
हसीनों की निगाहों से !!!
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अपना तो नाम मुफ़्त में,बदनाम हो गया !
बे-सबब ही
हसीनों का, अहसान हो गया !
उनकी ज़फाओं से दिल टूट तो टूटा यारो,
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