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अपनी जुबाँ की तासीर को, ज़रा समझ कर देखो
कैसे करती है घाव गहरे ये, ज़रा समझ कर देखो
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अपना तो नाम मुफ़्त में,बदनाम हो गया !
बे-सबब ही हसीनों का, अहसान हो गया !
उनकी ज़फाओं से दिल टूट तो टूटा यारो,
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अब किसी की घात का, अहसास नहीं होता !
ज़ख्मों में उठी टीस का, अहसास नहीं होता !
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हर कोई हर किसी में, कसूर ढूंढता है।
न मिलता है गर पास, तो दूर ढूंढता है।
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