कदमों की आहट से भी जान लेते हैं हम
कितना ही छुपें मगर पहिचान लेते हैं हम
भले ही छुपाएँ ज़ज़्बात वो हमसे मगर
आँखों में झांक कर सब जान लेते हैं हम
नहीं दिखता कुछ ग़मों की अंधेरी रातों में
तब उनकी यादों का दिया बाल लेते हैं हम
ये दुनिया बड़ी ही दिल फ़रेब है मगर
जाने क्यों उनकी हर बात मान लेते हैं हम
जैसा मुकद्दर ने चाहा, हम उधर चल दिये
कई बार गिरे फिर भी, उठ कर चल दिये
बड़ी ही #दिल फ़रेब निकली ये दुनिया यारो,
हम ग़मों को ढोये, होके मज़बूर चल दिये
अपनों का क्या कहें वो हमारे न बन सके,
बस हालात से डर कर, हम दूर चल दिये
हर शख़्स मुझे लगता रहा अपना सा,
पर हम तो बेगानों की तरह, अकेले चल दिये
कोई मुस्करा के गुज़र जाता है तो तुम याद आती हो
कोई ज़रा सी आहट भी होती है तो तुम याद आती हो
बैठते हैं तन्हा जब यादों में खोये से हम
कोई आता है खुश्बू का झोंका तो तुम याद आती हो
रेशमी दुपट्टा सर पर ओड़ कर सर झुकाये
कोई नाज़नीं गुज़र जाती है तो तुम याद आती हो
जब कोई फूल यूं ही छूते ही गुलशन में
खिलकिलाकर हंस देता है तो तुम याद आती हो
जब ग़मों की भयानक तपिश के आलम में
प्यार क़ी ठंडी हवा बहती है तो तुम याद आती हो
जब रात के अंधेरे में चुपचाप कोई
मेरे कानों में फुसफुसाता है तो तुम याद आती हो
कैसे भूल जाऊं मैं हर पल मुस्कराना उनका
कभी कभी न मिलने के लिये बहाना उनका
दुनिया के शोर में भी न भूल पाता मैं
कोयल सी आवाज़ में मुझको बुलाना उनका
मैं सब कुछ भूल जाऊं गवारा है मुझको
लेकिन कैसे भूल जाऊं मैं प्यार पाना उनका
ग़म देकर ज़ुदा हो गये कोई शिकवा नहीं
पर याद आता रहेगा वो आँखें झुकाना उनका
उनका अलग होना कैसे कहूँ बेवफाई
आँखों का डबडबाना बता गया अफसाना उनका
रिश्तों के टूट जाने से अरमान बिखर जाते हैं
जिंदगी की दौड में यूं ही कदम ठहर जाते हैं
सब्र का पैमाना क्यों गिर गया है इतना
कि अब खून के रिश्ते भी बेजान नज़र आते हैं