Wo Pyar ko kya samjhe
जो दर्द में जिया है, वो प्यार को भला क्या समझे
जो अंधेरों में पला है, उजालों को भला क्या समझे
जो न सीख पाया ज़िंदगी जीना इस दुनिया में,
वो ज़िंदगी की बिसात की, गोटों को भला क्या समझे...
जो दर्द में जिया है, वो प्यार को भला क्या समझे
जो अंधेरों में पला है, उजालों को भला क्या समझे
जो न सीख पाया ज़िंदगी जीना इस दुनिया में,
वो ज़िंदगी की बिसात की, गोटों को भला क्या समझे...
मेरे प्यार को यूं ही हंसी में उड़ा दिया उसने
मेरे धड़कते दिल में नश्तर चुभा दिया उसने
धुएं में गुम हो गये मेरे सभी अरमां
सिगरेट की तरह कुचल कर बुझा दिया उसने
ज़रा सी मोहलत मिली थी जिनसे
फिर से उन्हीं तनहाइयों से मिला दिया उसने
शुक्र गुज़ार रहेंगे ता ज़िंदगी उसके
कि मरने से पहले ही कफ़न उड़ा दिया उसने...
ग़मों में खुशी का सबब है दोस्ती
दिल के ज़ख्मों का मरहम है दोस्ती
जब बेज़ार होता है कोई ज़िंदगी से,
तब उसके जीने का संबल है दोस्ती
जलता है दिल अपनों की तपिश से,
तब शीतल हवा का झोखा है दोस्ती
ये दुनिया बड़ी ही दोरंगी है दोस्तो,
पर हर रंग से अलग होती है दोस्ती...
क्यों मुश्किल में है ज़िंदगी, ज़रा सोचिये
क्यों अपने, पराये हो गये, ज़रा सोचिये
औरों को दोष देना आसान है दोस्तो,
सच में गुनाह किस का है, ज़रा सोचिये
ज़िंदगी भर जीते रहे सिर्फ अपने लिये,
अब औरों की ज़रूरत क्यों है, ज़रा सोचिये
अकेले राही को लाज़िम हैं दुसबारियां पर,
क्यों गुज़रते हैं कारवां सुकून से, ज़रा सोचिये...
सामने पड़ते हैं, हाथ हिला कर निकल जाते हैं
वरना अंजान बन, सर झुका कर निकल जाते हैं
कभी खाईं थी कसमें वफा की उन्होंने,
वो आज दिल का चैन, उड़ा कर निकल जाते हैं
लोग कहते हैं आज भी प्यार है मुझसे
फिर क्या सबब है, हाथ छुड़ा कर निकल जाते हैं
ये तो रिवाज़ है दुनिया के लोगों का यारो
मतलब निकलते ही, मुंह छुपा कर निकल जाते हैं...