Shanti Swaroop Mishra

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Wo Pyar ko kya samjhe

जो दर्द में जिया है, वो प्यार को भला क्या समझे
जो अंधेरों में पला है, उजालों को भला क्या समझे
जो न सीख पाया ज़िंदगी जीना इस दुनिया में,
वो ज़िंदगी की बिसात की, गोटों को भला क्या समझे...

Pyar ko hansi mein uda diya

मेरे प्यार को यूं ही हंसी में उड़ा दिया उसने
मेरे धड़कते दिल में नश्तर चुभा दिया उसने
धुएं में गुम हो गये मेरे सभी अरमां
सिगरेट की तरह कुचल कर बुझा दिया उसने
ज़रा सी मोहलत मिली थी जिनसे
फिर से उन्हीं तनहाइयों से मिला दिया उसने
शुक्र गुज़ार रहेंगे ता ज़िंदगी उसके
कि मरने से पहले ही कफ़न उड़ा दिया उसने...

Khushi ka sabab hai dosti

ग़मों में खुशी का सबब है दोस्ती
दिल के ज़ख्मों का मरहम है दोस्ती
जब बेज़ार होता है कोई ज़िंदगी से,
तब उसके जीने का संबल है दोस्ती
जलता है दिल अपनों की तपिश से,
तब शीतल हवा का झोखा है दोस्ती
ये दुनिया बड़ी ही दोरंगी है दोस्तो,
पर हर रंग से अलग होती है दोस्ती...

zara sochiye

क्यों मुश्किल में है ज़िंदगी, ज़रा सोचिये
क्यों अपने, पराये हो गये, ज़रा सोचिये
औरों को दोष देना आसान है दोस्तो,
सच में गुनाह किस का है, ज़रा सोचिये
ज़िंदगी भर जीते रहे सिर्फ अपने लिये,
अब औरों की ज़रूरत क्यों है, ज़रा सोचिये
अकेले राही को लाज़िम हैं दुसबारियां पर,
क्यों गुज़रते हैं कारवां सुकून से, ज़रा सोचिये...

Yaro Ye To Rivaz hai Dunia Ka

सामने पड़ते हैं, हाथ हिला कर निकल जाते हैं
वरना अंजान बन, सर झुका कर निकल जाते हैं
कभी खाईं थी कसमें वफा की उन्होंने,
वो आज दिल का चैन, उड़ा कर निकल जाते हैं
लोग कहते हैं आज भी प्यार है मुझसे
फिर क्या सबब है, हाथ छुड़ा कर निकल जाते हैं
ये तो रिवाज़ है दुनिया के लोगों का यारो
मतलब निकलते ही, मुंह छुपा कर निकल जाते हैं...