दर्द दुनिया के हमने, सीने में छुपा रखे हैं ,
मगर चेहरे पे, ख़ुशी के मुखौटे लगा रखे हैं !
क्या मिलेगा तमाशा दिखा कर औरों को,
हमने तो दामन में, हर ज़ख्म छुपा रखे हैं!
ये #ज़िन्दगी का सफर तो लाज़िम है दोस्तो,
बस राहों के लिए, कुछ तज़ुर्बे बचा रखे हैं!
कैसे जीते थे लोग कभी हज़ारों साल तक,
अपनी छोटी सी, ज़िंदगी ने नाच नचा रखे हैं !
होठ सीं रखे हैं दोस्त जमाने ने हमारे तो,
अलबत्ता हमने भी, बातों के तीर सजा रखे हैं !!!
न कोई भी रिश्ता, दिल ❤ के करीब निकला,
जो भी निकला, वो दिल का गरीब निकला !
बहुत चाहा कि मुस्कराये खुशियों का गुल,
मगर खारों में जीना, अपना नसीब निकला !
कभी चाहा था टूट कर जिसको इस #दिल ने 💔 ,
तोड़ा दिल उसी ने, वो इतना ज़लील निकला !
बड़े ही अजीब रंग हैं इस दुनिया के दोस्तो,
समझा जिसे अपना, गैरों का अज़ीज़ निकला !
तुम तो बहुत खुश हो दुनिया में आ के दोस्त,
मगर अपना तो ये #नसीब, बदनसीब निकला ! 😞
बेचैन हो कर, यूं ही, करवटें न बदलते रहिये ,
निराश हो कर, तुम यूं ही हाथ न मलते रहिये !
तुम एक #मुसाफिर हो बस इतना समझ लो,
चलना ही ज़िंदगी है, बैठ कर न उछलते रहिये !
कोंन है जो न गिरता है ज़िन्दगी के सफर में,
मगर यूं ही डर के तुम, राहें न बदलते रहिये !
न कर सको तो ना कहना भी सीख लो दोस्त,
मगर अपने किये वादों से, यूं न फिसलते रहिये !
पार करना है दरिया तो धारे में उतरिये दोस्त,
बैठ कर किनारे पे तुम, यूं ही न मचलते रहिये !!!
न करते यक़ीं सब पर, तो फ़साने कुछ और होते ,
न चुभते तीर अपनों के, तो फ़साने कुछ और होते !
तड़पता रहा ये दिल, न जाने किस किस के किये
न होती गर ये मोहब्बतें ,तो फ़साने कुछ और होते !
इस दौलत की चाहत में, हैवान बन गया ये आदमी
न गिरता इंसान गर इतना, तो फ़साने कुछ और होते !
यारो बजाते रहे हम ढपलियाँ, बस अपने ही राग में
गर मिलती ताल आपस में, तो फ़साने कुछ और होते !
उलझे रहे हमतो बस, इन मुश्किलों के जाल में दोस्त
गर न होते ख़ार गुलशन में, तो फ़साने कुछ और होते !!!
भंवर से बच गया पर, साहिल पे फंस गया हूँ मैं,
बच गया गैरों से मगर, अपनों में फंस गया हूँ मैं !
कुछ ऐसा ही मुकद्दर लिख डाला है रब ने मेरा,
कि आसमां से गिर कर, खजूर में फंस गया हूँ मैं !
मैंने भी चाहा कि उड़ता फिरूं परिंदों कि तरह,
मगर अपनों के बिछाए, जाल में फंस गया हूँ मैं !
मैं गुज़ार लेता ज़िन्दगी भी जो कुछ बची है दोस्त,
मगर खुद के ही मेरे, जज़्बात में फंस गया हूँ मैं !
ज़रा से प्यार की खातिर मिटा डाला सुकूं हमने,
अब तो बस तन्हाइयों के, दौर में फंस गया हूँ मैं !!!